देश की मिट्टी
ऐसी अनोखी उपज यहा के,
खेतो पे ही खिल गई है,
की बंजर विरानो की कीमत,
इस मिट्टी से बढ़ गई है,
बैल यहा की फसल खा जाते,
नस्ल इंकी कुछ भूल गई है,
चावल-गेहूं भेद के चलते,
सुख-शान्ती कही घूम गई हाई,
बेशर्मी की हद्द होटी है पर,
हद्द की हद्द कही घुल गयी है,...(2)
हुमें लगा इस देश की मिट्टी,
ही मिट्टी में मिल गई हाई...
चोरी, डकैति, स्कैंडल से लद,
हवाएन ऐसी चल गई है,
हत्याएं और गुंडगर्दी,
संस्कृति को छल गई है,
यह परिणाम है ६० साल की,
आज़ादी का, दुनिया वालों,
यूँही नहीं उन्नत खुश-हाली,
हिन्दुस्थान से ढल गई है,
जन्मे है तोह जी रहें हैं,
इच्छा लेकिन मर गई है,...(2)
हमें लगा इस देश की मिट्टी,
ही मिट्टी में मिल गई हाई...
तिलक किया करते थे जभ भी,
तूफन यहा की मिट्टी से,
तबाह होजाता तभी शत्रू का,
आत्मबल इस भक्ती से,
आंधियान जब पीति तिरथ,
इस भूमि की सरिता का,
सूर्य-नरायण लेते परिचय,
राहु-केतु की क्षमता का,
कहा गया येह तेजस्वी युग,
भरत-मा की महिमा का?
अब तोह केवाल देश बचा है,
मां हुमारी खो गई है,...(2)
हुमें लगा इस देश की मिट्टी,
ही मिट्टी में मिल गई हाई...
खेतो पे ही खिल गई है,
की बंजर विरानो की कीमत,
इस मिट्टी से बढ़ गई है,
बैल यहा की फसल खा जाते,
नस्ल इंकी कुछ भूल गई है,
चावल-गेहूं भेद के चलते,
सुख-शान्ती कही घूम गई हाई,
बेशर्मी की हद्द होटी है पर,
हद्द की हद्द कही घुल गयी है,...(2)
हुमें लगा इस देश की मिट्टी,
ही मिट्टी में मिल गई हाई...
चोरी, डकैति, स्कैंडल से लद,
हवाएन ऐसी चल गई है,
हत्याएं और गुंडगर्दी,
संस्कृति को छल गई है,
यह परिणाम है ६० साल की,
आज़ादी का, दुनिया वालों,
यूँही नहीं उन्नत खुश-हाली,
हिन्दुस्थान से ढल गई है,
जन्मे है तोह जी रहें हैं,
इच्छा लेकिन मर गई है,...(2)
हमें लगा इस देश की मिट्टी,
ही मिट्टी में मिल गई हाई...
तिलक किया करते थे जभ भी,
तूफन यहा की मिट्टी से,
तबाह होजाता तभी शत्रू का,
आत्मबल इस भक्ती से,
आंधियान जब पीति तिरथ,
इस भूमि की सरिता का,
सूर्य-नरायण लेते परिचय,
राहु-केतु की क्षमता का,
कहा गया येह तेजस्वी युग,
भरत-मा की महिमा का?
अब तोह केवाल देश बचा है,
मां हुमारी खो गई है,...(2)
हुमें लगा इस देश की मिट्टी,
ही मिट्टी में मिल गई हाई...
-Rj
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