बिन बादल आसमां
जितना तन्हा होता है।
तुम बिन कटा हर एक
हमारा लम्हा होता है।
लेहराते बादलो के साथ उमड़ती
क्यू नहीं आ जाती।
चलेंगे हाथो-में-हाथ, मधुमती,
क्यू नहीं आ जाती।
इतराके आखिर सागर में
गंगा मिल ही जाती है।
तुम इस जन्म मेरी गंगा
क्यू नहीं हो जाती।
सूरज के तेज को भी चाँद की
रोशनी में बदलना होता है।
मेरे दिल से टकराकर, मुझमें,
क्यू नहीं खो जाती।
तेरी आस।
तेरी ही प्यास।
बिन तेरी मिठास।
मेरा जीवन उदास।
एक ही बची है
ख्वाइश ये खास।
दम तॉडूंगा जब,
तब तुम होना पास।
तब तुम होना पास...
-Rj